"एक आदमी ने बना लिया अपना देश?!
कैलासा की सच्चाई!"
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--》 एक ऐसा आदमी जिसने खुद का देश बनाया – कैलासा की कहानी
दुनिया में 190 से भी ज़्यादा देश हैं, जिनकी सीमाएं,
सरकारें और संविधान होते हैं। लेकिन क्या आपने
कभी सोचा है कि कोई इंसान खुद का देश बना सकता है?
यह कहानी है एक ऐसे विवादास्पद भारतीय बाबा की,
जिसने न सिर्फ देश से भागकर विदेश में शरण ली,
बल्कि वहां जाकर खुद का एक "नया देश" बना लिया – 'कैलासा' (Kailasa)।
यह कहानी जितनी अजीब है, उतनी ही रोचक भी है।
इसमें धर्म, राजनीति, भागना, इंटरनेट, और अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचने की चौंकाने वाली बातें शामिल हैं।
तो चलिए जानते हैं – कैलासा देश की सच्चाई, इसे बनाने वाले इंसान नित्यानंद की कहानी, और क्या वाकई ये देश असली है?
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कौन है नित्यानंद?
नित्यानंद का असली नाम राजशेखरन है। वो भारत के तमिलनाडु राज्य से आते हैं और खुद को एक "भगवान का अवतार" बताते हैं। उन्होंने कई वर्षों तक आध्यात्मिक प्रवचन दिए, योग सिखाया और खुद को एक सिद्ध गुरु के रूप में स्थापित किया।
धीरे-धीरे उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी, विदेशों तक उनके अनुयायी बन गए और उन्होंने कई आश्रम भी बनवाए। लेकिन 2010 में उनका एक अश्लील वीडियो सामने आया, जिसमें वह एक महिला अनुयायी के साथ देखे गए। इसके बाद से विवादों की एक लंबी श्रृंखला शुरू हुई।
विवादों में क्यों आए?
नित्यानंद पर कई गंभीर आरोप लगे, जिनमें शामिल हैं:
•यौन शोषण
•महिलाओं को जबरदस्ती रोक कर रखना
•धोखाधड़ी और गलत तरीके से पैसे जुटाना
इन सभी मामलों में पुलिस ने जांच शुरू की, लेकिन 2019 में नित्यानंद भारत से फरार हो गए। इसके बाद उनका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं मिला कि वह कहां गए।
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कैलासा की घोषणा
भारत से भागने के बाद नित्यानंद ने इंटरनेट पर एक चौंकाने वाली घोषणा की – उन्होंने कहा कि उन्होंने एक "नया हिन्दू राष्ट्र" बना लिया है, जिसका नाम है 'कैलासा' (United States of Kailasa)।
उनका दावा था कि यह देश उन सभी हिंदुओं के लिए है जो दुनिया भर में "धार्मिक उत्पीड़न" झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि कैलासा एक आध्यात्मिक देश होगा, जहां वैदिक परंपराएं और सनातन धर्म को पुनर्जीवित किया जाएगा।
कैलासा की वेबसाइट और डिजिटल उपस्थिति
नित्यानंद ने सिर्फ नाम की घोषणा नहीं की, बल्कि एक वेबसाइट (kailaasa.org) भी लॉन्च की जिसमें उनके "देश" की सारी जानकारी दी गई:
•राष्ट्रीय झंडा
•राष्ट्रगान
•मुद्रा (Currency) – कैलाशियन डॉलर
•पासपोर्ट और वीजा
•मंत्रिमंडल (Cabinet Ministers)
इतना ही नहीं, वेबसाइट पर यह भी दावा किया गया कि कैलासा का उद्देश्य "वैदिक शिक्षा को पुनर्जीवित करना, विश्व शांति फैलाना, और हिन्दू धर्म को बढ़ावा देना" है।
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कैलासा कहां स्थित है?
नित्यानंद ने दावा किया कि उन्होंने यह देश दक्षिण अमेरिका के एक छोटे से द्वीप पर बसाया है, जो उन्होंने इक्वाडोर (Ecuador) के पास खरीदा है। हालांकि, इक्वाडोर सरकार ने साफ कहा कि उन्होंने न तो नित्यानंद को कोई द्वीप बेचा और न ही शरण दी।
इससे यह साफ हो गया कि "कैलासा" की कोई ठोस भौगोलिक पहचान नहीं है। यह एक काल्पनिक या वर्चुअल देश (virtual nation) है, जो मुख्य रूप से इंटरनेट और सोशल मीडिया पर मौजूद है।
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क्या कैलासा को मान्यता मिली है?
किसी भी देश को वैध मान्यता तब मिलती है जब:
1. उसकी स्थायी जनसंख्या हो
2. उसका कोई निर्धारित क्षेत्र हो
3. उसकी अपनी सरकार हो
4. वह दूसरे देशों से संबंध बना सके
इन सभी शर्तों को कैलासा पूरा नहीं करता। इसलिए संयुक्त राष्ट्र (UN) या किसी भी देश ने कैलासा को वैध देश के रूप में स्वीकार नहीं किया।
हालांकि, कैलासा के प्रतिनिधियों ने कुछ अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों और UN बैठकों में भाग लिया, जिससे कई लोग भ्रम में आ गए। बाद में संयुक्त राष्ट्र ने स्पष्ट किया कि कैलासा को कोई अधिकारिक मान्यता नहीं दी गई है, और वे सिर्फ एक सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
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कैलासा का पासपोर्ट और नागरिकता
नित्यानंद और उनकी टीम ने कैलासा की वेबसाइट पर "पासपोर्ट बनवाने" और "नागरिकता प्राप्त करने" की सुविधा भी दी है। वहां बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति हिन्दू धर्म का पालन करता है और नित्यानंद की विचारधारा में विश्वास रखता है, तो वह कैलाशियन नागरिक बन सकता है।
लेकिन ये सब सिर्फ एक ऑनलाइन फॉर्म और डिजिटल दस्तावेजों तक ही सीमित है। इनका कोई कानूनी या अंतरराष्ट्रीय महत्व नहीं है।
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लोग क्या सोचते हैं?
कैलासा के अस्तित्व को लेकर लोगों की राय बंटी हुई है:
कुछ अनुयायी इसे सच्चा आध्यात्मिक राष्ट्र मानते हैं।
कुछ लोग इसे एक धोखाधड़ी और प्रचार का तरीका मानते हैं।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ एक तरीका है नित्यानंद के लिए गिरफ्तारी से बचने का।
कुछ लोगों को यह हास्यास्पद लगता है कि एक इंसान इंटरनेट के जरिए खुद को राजा घोषित करके देश बना रहा है, लेकिन वही बात आज की डिजिटल दुनिया में सच होती दिख रही है।
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निष्कर्ष: क्या वाकई एक आदमी देश बना सकता है?
नित्यानंद द्वारा बनाए गए कैलासा ने यह जरूर दिखाया कि आज की दुनिया में डिजिटल और विचारधाराओं के बल पर बहुत कुछ किया जा सकता है। हालांकि कानूनी रूप से कैलासा एक देश नहीं है, लेकिन यह एक ऐसा मामला बन गया है जो लोगों को सोचने पर मजबूर करता है।
नित्यानंद के "देश" की हकीकत चाहे जो हो, लेकिन उनकी यह कोशिश हमें यह दिखाती है कि जब धर्म, इंटरनेट और राजनीति का मिलाजुला रूप सामने आता है, तो कुछ भी संभव है — यहां तक कि एक आदमी खुद को राजा बनाकर "देश" भी बना सकता है।
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क्या होगा आगे?
यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले सालों में कैलासा का क्या होता है। क्या यह सिर्फ एक इंटरनेट सनसनी बनकर रह जाएगा, या वाकई कुछ लोगों का झुंड इसे एक नया आध्यात्मिक आंदोलन बना पाएगा?
फिलहाल, कैलासा एक रहस्य है — एक ऐसा "देश" जो असल में कहीं नहीं है, लेकिन इंटरनेट पर पूरी तरह मौजूद है।
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धन्यवाद!